कैबिनेट मिशन प्लान

कैबिनेट मिशन प्लान

22 जनवरी को कैबिनेट मिशन को भेजने का निर्णय लिया गया था और 19 फरवरी, 1946 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री सी.आर.एटली की सरकार ने हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में कैबिनेट मिशन के गठन और भारत छोड़ने की योजना की घोषणा की| तीन ब्रिटिश कैबिनेट सदस्यों का उच्च शक्ति सम्पन्न मिशन, जिसमे भारत सचिव लॉर्ड पैथिक लारेंस, बोर्ड ऑफ़ ट्रेड के अध्यक्ष सर स्टैफोर्ड क्रिप्स और नौसेना प्रमुख ए.वी.अलेक्जेंडर शामिल थे, 24 मार्च, 1946 को दिल्ली पहुँचा|

मिशन के प्रस्ताव

• मिशन ने ब्रिटिश भारत के निर्वाचित प्रतिनिधियों और भारतीय रजवाड़ों से संविधान के निर्माण के सम्बन्ध में विचार-विमर्श कर एक समझौते को तैयार करने का प्रस्ताव रखा|

• संवैधानिक निकाय के गठन का प्रस्ताव

• प्रमुख भारतीय दलों के समर्थन से एक कार्यकारी परिषद् के गठन का प्रस्ताव

मिशन का उद्देश्य

• भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के मध्य के राजनीतिक गतिरोध को दूर करना और साम्प्रदायिक विवादों को रोकना था| इन दोनों में इस बात को लेकर मतभेद था कि एकीकृत या विभाजित कौन सा विकल्प ब्रिटिश भारत के लिए बेहतर होगा?

• कांग्रेस पार्टी चाहती थी कि केंद्र में एक सशक्त सरकार हो जिसकी शक्तियां प्रांतीय सरकारों की तुलना में अधिक हों|

• जिन्ना के नेतृत्व में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग भारत को अविभाजित रखना चाहती थी लेकिन तभी जब मुस्लिमों को कुछ राजनीतिक सुरक्षोपाय प्रदान किये जाये, जैसे कि विधायिकाओं में समानता की गारंटी|

• 1945 में हुए शिमला सम्मलेन के बाद 16 मई,1946 को कैबिनेट मिशन योजना की घोषणा की गयी|

मिशन की अनुशंसाएं

• भारत की एकता को बनाये रखा जाये|

• इसने सभी भारतीय क्षेत्रों को मिलाकर एक बहुत ही कमजोर संघ के गठन का प्रस्ताव रखा, जिसे केवल रक्षा, विदेशी मामलों और संचार पर ही नियंत्रण प्राप्त था|संघ को यह शक्ति प्राप्त होगी कि वह इन सभी विषयों के प्रबंधन के लिए आवश्यक वित्त जुटा सके|

• संघीय शक्तियों के अतिरिक्त अन्य सभी शक्तियां और अवशिष्ट शक्तियां ब्रिटिश भारत के प्रान्तों को प्रदान की गयीं|

• एक संविधान निर्मात्री निकाय या संविधान सभा का चुनाव किया जाये जिसमे सभी राज्यों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में निश्चित सीटें प्रदान की जाएँ|

• इसने प्रस्तावित संविधान सभा में 292 सदस्यों को ब्रिटिश भारत से और 93 सदस्यों को रियासतों से शामिल करने का प्रस्ताव रखा |

• मिशन ने केंद्र में तत्काल अंतरिम सरकार के गठन को प्रस्तावित किया,जिसे सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त हो और जिसके सभी विभाग भारतीय के पास हों|

निष्कर्ष

कैबिनेट मिशन का प्रमुख उद्देश्य भारत में सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के तरीकों को खोजना और संविधान का निर्माण करने वाले तंत्र के बारे में सुझाव देना था| अंतरिम सरकार का गठन करना भी इसका एक उद्देश्य था|

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