शाहबुद्दीन मुहम्मद शाहजहाँ

शाहबुद्दीन मुहम्मद शाहजहाँ

शाहजहाँ भारत का पाचवां मुगल सम्राट था, और वह एक श्रेस्ठ मुगल सम्राट के रूप मे जाना गया है। वह अपने विशाल साम्राज्य को बढ़ाने के लिए अत्यंत उत्सुक रहता था । शाहजहाँ जब बीमार पड़ गया तब उसे अपने वारिस औरंगजेब के द्वारा 1658 मे आगरा के किले मे कैद कर दिया गया था। गैर मुस्लिमो के प्रति उसका दृस्टिकोड़ कम उदार था, वह उसके दादा एवं पिता क्रमश: जहाँगीर एवं अकबर की तुलना मे, गैर-मुस्लिमो के लिये एक रूढ़िवादी मुस्लिम था ।

प्रारम्भिक जीवन:

शाहजहाँ राजकुमार शिहाब – उद- दीन मुहम्मद खुर्रम के रूप मे जाना गया। फारसी भाषा मे उसके नाम का अर्थ “हर्षित” है एवं उसके दादा “अकबर महान” ने उसे “खुर्रम” नाम दिया।

उसके पिता ने उससे प्रभावित होकर उसे बहुत ही कम उम्र मे “शाहजहाँ बहादुर” की उपाधि दे दी थी। उसने डेक्कन मे लोदी, मेवाड़ एवं कांगड़ा के विरुद्ध असाधारण सैन्य क्षमताओ का प्रदर्शन किया। इसके अतिरिक्त शाह जहाँ को “चमत्कारी निर्माता” की उपाधि दी गयी, उसके पास पुराने किलों को फिर से रूपरेखा प्रदान करने एवं नई संरचनाओ की रूपरेखा तैयार करने की उल्लेखनीय क्षमता थी।

उपलबधियाँ:

वह शानदार स्मारक ताजमहल, मोती मस्जिद (लाहौर – जो अब पाकिस्तान मे है), दिल्ली का जामा मस्जिद, आगरा किले का खंड, और वजीर खान मस्जिद दिल्ली का लाल किला का प्रवर्तक था।

डेक्कन के राज्यों पर जीत पाने के क्रम मे शाहजहाँ के निर्देश असाधारण साबित हुये। 1936 ईस्वी तक अहमदनगर को गोलकोंडा एवं बीजापुर के साथ जोड़ दिया गया था एवं उनकी शाखाओ को समाप्त करने के लिए मजबूर किया गया। मुगल सत्ता इसके अलावा उत्तर-पश्चिम मे फैला था। कांधार के प्रमुख फारसी गवर्नर अली मर्दन खान ने उस जगह को 1638 ईस्वी मे मुगलो को समर्पित कर दिया।   

विवाह:

1608 ईस्वी मे शाहजहां मात्र 15 साल की आयु का था जब उसकी सगाई 14 साल की अर्जुमंद बानो से हुयी। इसलिए राजकुमार को विवाह के लिए 5 साल का इन्तजार करना पड़ा।   

 मुमताज़ महल

1612 ईस्वी मे शाहजहां जब मात्र 20 साल का था उसकी शादी आर्जूमंद बानो से कर दी गयी, जिसे मुमताज़ महल की उपाधि दी गयी।शादी सुखमय / आनंददायक थी और शाहजहाँ आजीवन मुमताज़ महल के लिए समर्पित रहने लगा। मुमताज़ महल ने शाह जहां के 14 बच्चो को जन्म दिया जिनमे से मात्र सात वयस्कता तक जीवित रहे।मुमताज़ महल जब 40 साल की आयु की थी, अपने चौदहवे बच्चे जिसका नाम गौहरा बेगम था, को जन्म देते समय प्रसवोत्तर रक्तस्राव की वजह से उसकी मृत्यु हो गयी, और उसका जन्म स्थान बुरहानपुर था।उसके मृत शरीर को अस्थायी रूप से एक बगीचे मे दफन कर दिया गया था, जो शाहजहाँ के चाचा राजकुमार दनियाल के द्वारा ताप्ती नदी के किनारे बनाया गया था, जो एक जैनाबाद नाम से जाना जाने वाला बंद बगीचा था।मुमताज़ महल की मृत्यु ने शाह जहाँ के व्यक्तित्व पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाला और ताजमहल के निर्माण के लिए एक प्रेरक कारक सिद्ध हुआ, जहाँ पर बाद मे मुमताज़ महल के मृतक शरीर को पुनः दफन किया गया था।  

मृत्यु:

जब शाहजहाँ 1658 ईस्वी मे बीमार रहने लगा उस समय शाह जहाँ और मुमताज़ महल का बड़ा पुत्र दारा शिकोह आगे आया और अपने पिता के नाम से प्रतिशासक की ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया। उसके प्रतिशासन काल की संदेह की जानकारी मिलने के बाद दारा शिकोह के छोटे भाई शुजा जो बंगाल का वायसराय था एवं मुराद बक्स जो गुजरात का वायसराय था ने अपने स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी और एक विशिष्ट अंत लक्ष्य के साथ अपने पिता के धन पर दावा करने आगरा की ओर चल दिये।

तीसरा पुत्र औरंगजेब, अपने सभी भाईयों मे सबसे सक्षम, ने एक तैयार एवं कुशल सशस्त्र बल इकट्ठा किया और इसका मुख्य सेनापति बना। उसने आगरा के समीप दारा शिकोह के सशस्त्र बल का सामना किया और समुगढ़ की लड़ाई मे उन्हे पराजित कर दिया।

अपनी बीमारी से पूरी तरह से ठीक न होने के बावजूद, औरंगजेब ने शाह जहाँ को साम्राज्य प्रशासन के लिए अयोग्य घोषित कर दिया और औरंगजेब ने उसे आगरा किले के कक्ष मे नजरबंद कर दिया।  

जनवरी 1666 ईस्वी मे शाह जहाँ गंभीर रूप से बीमार हुआ और बिस्तर तक ही सीमित रह गया; एवं वह 22 जनवरी तक लगातार कमजोर होता गया। शाहजहाँ के पादरी काज़ी कुर्बान और आगरा के सैयद मुहम्मद कनौजी आगरा के किले आए, उसके बाद वो उसके शरीर को पास के गलियारे मे ले गए, उसे धोया एवं ढक दिया और चन्दन की लकड़ी से बने एक ताबूत मे रख दिया।

मृत शरीर को आगरा मे ताजमहल ले जाया गया और उसके सबसे प्रिय पत्नी मुमताज़ महल की कब्र के बगल मे नदी के किनारे दफना दिया गया ।

 

पूरा नाम

अल आजाद अबुल मुजफ्फर शहाब-उद्दीन मोहम्मद खुर्रम

जन्म

5 जनवरी 1592 ईस्वी, लाहौर, पाकिस्तान में

शासन

1628-1658 ईस्वी इस समय को मुगल वास्तुकला का 'स्वर्ण युग'  के रूप में माना जाता था

पिता

जहांगीर

माता

ताज बीबी बिलक़िस मकानी

राजवंश

मुगल साम्राज्य

धर्म

इस्लाम

मृत्यु

22 जनवरी 1666 ईस्वी, आगरा किले मे,आगरा, मुगल साम्राज्य, भारत

दफ़न

ताजमहल 

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